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India Today Conclave East 2022: बंगाल में कभी जड़ें नहीं जमा सकेगा हिंदुत्व, बोले तृणमूल सांसद सौगत रॉय

时间:2010-12-5 17:23:32  作者:रिंकू सिंह   来源:মাধ্যমিক রেসাল্ট ট২৩  查看:  评论:0
内容摘要:India Today Conclave East 2022: हिंदुत्व की विचारधारा को बंगाल में स्वीकार क्यों नहीं किया जाता. इसस

India Today Conclave East 2022: हिंदुत्व की विचारधारा को बंगाल में स्वीकार क्यों नहीं किया जाता. इससे जुड़े एक सवाल पर तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट 2022 में एक बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि बंगाल की चुनावी राजनीति में इसकी कोई जगह नहीं. जानें हिंदुत्व पर और क्या कहा उन्होंने...लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की आवाज को जोर-शोर से उठाने वाले सांसद सौगत रॉय ने यहां इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट में हिंदुत्व की विचारधारा (बीजेपी) को लेकर बंगाल की सोच सामने रखी. उन्होंने बताया कि क्यों बंगाल में हिंदुत्व की विचारधारा को स्वीकार नहीं किया जाता और ना किया जाएगा.कॉनक्लेव के FLASHPOINT: Cultural Conundrum: Can Hindutva Nationalism coexist with Sub-national Cultural Pride?बंगालमेंकभीजड़ेंनहींजमासकेगाहिंदुत्वबोलेतृणमूलसांसदसौगतरॉय सत्र में बोलते हुए सौगत रॉय ने अपनी बात की शुरुआत भारतीय जनसंघ (जो बाद में बीजेपी बनी) के संस्थापकों में से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उदाहरण से की.उन्होंने कहा-बंगाल की चुनावी राजनीति में 'हिंदुत्व' कभी काम नहीं आया. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1946 में अपना चुनाव हार गए थे. वह सिर्फ एक बार चुनाव जीते वो भी 1952 में, ऐसा क्यों हुआ, क्यों बंगाल ने कभी हिंदुत्व को स्वीकार नहीं किया? क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और उससे भी पहले एक बंगाली सांस्कृतिक विचार जन्म ले चुका था. राजा राममोहन के समय से ये शुरू हुआ और इसके मूल में सेकुलरिज्म था.सौगत रॉय ने आगे कहा-इससे भी आगे जाकर रविन्द्र नाथ टैगोर ने भारतवर्ष (Indian Wholeness) की बात की. इसके बाद 1905 में बंगाल विभाजन हुआ और इसके विरोध का नेतृत्व टैगोर ने किया. अगर आप इस दौर की टैगोर की कविताओं को देखें तो वो स्वदेश की बात करते हैं. इस दौर में बंगाल ने जो विचारधारा अपनाई वो बिलकुल अलग रही और ये पूरा आइडिया ही सेकुलर था. इसलिए बंगाल में जो भारतीय राष्ट्रवाद वजूद में आया उसमें हिंदुत्व की जगह ही नहीं रही. इसलिए बंगाल में कभी भी हिंदुत्व की जड़ें जमी नहीं और ना ही वो यहां जड़ें जमा पाएगा.उन्होंने आगे कहा-जहां कहीं भी क्षेत्रीय और सांस्कृतिक आंदोलन होता है, वहां हिंदुत्व कोई प्रभाव नहीं छोड़ता. तमिलनाडु में जो आंदोलन हुआ वो भी हिंदी विरोधी था और इसलिए वहां भी बीजेपी और हिंदुत्व कभी जगह नहीं बना पाए.सौगत रॉय की इस बात का जवाब देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सीनियर एडवाइजर कंचन गुप्ता ने कहा- मैं राजनीति की बात नहीं करता और एक चुनाव (हाल के बंगाल विधानसभा चुनाव) की जीत के तौर पर हिंदुत्व की विचारधारा को नहीं देखता. चुनाव दूसरे तरीके से होते हैं और हमने असम, त्रिपुरा और मणिपुर में इस जीत (बीजेपी की जीत) को देखा है. सौगत रॉय ने रविन्द्र नाथ टैगोर, उनके स्वदेश और बंगाल विभाजन की बात की. लेकिन हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि 'भारतमाता' की पहली तस्वीर भी बंगाल से आई और इसे बनाने वाले अवनींद्र नाथ टैगोर थे.सौगत रॉय ने इसका भी जवाब दिया, वो बोले कि अंग्रेजी शासन के दौर में भारतीय राष्ट्रवाद का आइडिया बंगाल से ही आया. बंकिमचंद्र चटर्जी ने ही वंदे मातरम दिया. ऐसे में बंगाल का जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है वो मुस्लिमों को बाहर नहीं करता, हिंदुत्व मुस्लिमों को बाहर करता है. बंगाल की 25% आबादी मुस्लिम है.
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